चौबीस के नतीजों तक ताप बनाए रख सकता है सतपाल मलिक का इंटरव्यू

यूं तो 2024 तक कई चीजें चर्चा में आएंगी लेकिन पूर्व गवर्नर सतपाल मलिक के हालिया इंटरव्यू का ताप सालभर बना रह सकता है। 'द वायर' से कल प्रसारित हुए इस इंटरव्यू में वरिष्ठ पत्रकार करण थापर के इंटरव्यू शैली देखते ही बन रही है, जिन्हें देश का सबसे प्रतिष्ठित पोलिटिकल इंटरव्यूरर माना जाता है। जम्मू-कश्मीर राज्य से धारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय गवर्नर रहे और अब रिटायर सतपाल मलिक ने जिस लहजे में जो-जो जानकारियां उजागर की हैं या कहेें कि उन्हें और स्पष्ट तौर पर करण थापर ने सतपाल मलिक से निकलवाया है, वो बेहद रोचक और चौंकाने लायक हैं।
सबसे अच्छी है कि मलिक ने अपनी बातचीत हिन्दी में रखी है जिससे करण को भी हिन्दी में ही प्रश्न करने पड़े, इस तरह यह साक्षात्कार हिन्दी पट्टी की जनता तक पहुंचने की ज्यादा संभावनाएं रखता है जो बहुत हद तक मोदी को पराक्रमी राजा के तौर पर देखती है। यहां रोचक तथ्य याद रखना होगा कि थापर ने ही तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लिया था, जिसमें वो सवालों का जवाब दिए बिना ही चले गए थे।
मलिक ने पुलवामा में सैनिकों की हत्या के लिए गृह मंत्रालय को जिम्मेदार बताया है! वे यहीं नहीं रुकते हैं, थापर के पूछने पर कि क्या इससे चुनाव में फायदा लिया गया... वे मुस्कुरा जाते हैं। कई जगह थापर ने मलिक के जवाबों को बार-बार दोहराया है ताकि बात पुख्ता हो जाए और ये मुंह से अचानक निकली बात न रहे जिसे अतिउत्साह में दी जानकारी मान लिया जाता है। सतपाल ने मोदी को कश्मीर से जुड़ी जानकारियों पर इलइन्फार्मड कहा है, वे भष्टाचार को लेकर मोदी के काम के तरीके को लचर बता रहे हैं। यहां तक कह रहे हैं कि करप्ट मुख्यमंत्रियोें की ओर से रुपया इनतक और फिर अडाणी तक भी जाता है..!
ये सभी बातें एक भाजपा नेता की मुंह से सुनना चौंकाता है, ये बातें इसलिए ज्यादा काबिलेगौर हैं क्योंकि सतपाल मलिक उस अवधि में जम्मू-कश्मीर के शासक थे जब वहां राष्ट्रपति शासन लागू था। वे इंटरव्यू के दौरान खुद को फकीर बता रहे हैं और ये ठीक वहीं शब्द हैं जो नरेंद्र मोदी खुद को लेकर कहते आए हैं। उनकी बतायी हर जानकारी या दावे को सच मान लेना भी जल्दबाजी होगी लेकिन इन जानकारियों को सुनकर बार-बार ये अहसास आता है कि बेहद गंभीर समझे जाने वाले काम कितने लापरवाह और शातिराना ढंग से किए जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी को लेकर बहुसंख्यक जनता के बीच अब भी जिस तरह के विश्वास का भाव है, ये जानकारियां उनकी उस इमेज को डेंट जरुर कर सकती हैं।

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