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नियमों में फंस गया बच्ची और नाबालिग मां का जीवन

बरेली।  डेढ़ महीने की बच्ची को जिस उम्र में मां-पिता का स्नेह मिलना चाहिए, उस दौर में वह अपनी नाबालिग मां के साथ भटकेगी। शनिवार को बच्ची के भविष्य के संघर्ष की पटकथा उस समय लिख गई जब बाल कल्याण समिति ने नाबालिग मां को उसकी मर्जी से अपनी मां के सुपुर्द कर दिया। दूसरी ओर, बच्ची का पिता पाक्सो और अपहरण का आरोपी होने के कारण गिरफ्तारी के डर से मारा मारा घूम रहा है। वहीं, १५ सौ रुपये की मजदूरी में अपने तीन बच्चों को पाल रही विधवा मां परेशान थी कि आखिर किस तरह वह अपनी न के दूध के डिब्बे के लिए भी रुपया जुटा पाएगी। विधवा मां रोते हुए बाल कल्याण समिति के सदस्य/मजिस्ट्रेट के सामने विनती रही कि प्रधान के कहने पर उसने जो रिपोर्ट दर्ज करा दी थी, उसे वह वापस लेना चाहती है। पर पाक्सो एक्ट में दर्ज केस वापस न लिए जाने के प्रावधान के कारण समिति सदस्य भी कुछ कर पाने में असमर्थ हैं।      पिछले साल नवंबर में फरीदपुर थाना क्षेत्र की महिला ने अपनी नाबालिग बेटी के अपहरण के आरोप में हरदोई जिले के थाना तडिय़ाना के गोपा मऊ निवासी राज के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। केस में पाक्सो एक्ट भी लगाया गया। दूसरी ओर,