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युद्ध चिल्लाने वालों हमें तुम्हारी शुभकानाएं नहीं चाहिए

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औरतों आज तुम्हें जब कोई मर्द शुभकामनाएं दे, तो मत लेना ... पलटकर जवाब दे देना कि एक सप्ताह पहले तुम ही थे जो बगैर आधी आबादी की इच्छा जाने ' युद्ध -युद्ध 'चिल्ला रहे थे। तुम कह रहे थे कि मोदी युद्ध करो, बदला लो .. तुम्हारी तरह ही हमारा सीना भी छप्पन इंची है, हम में भी पौरुष भरा है, तुम्हारे सब जवान अगर शहीद भी हो गए तो हम पहुंचेंगे सीमा पर , हमारा हर कतरा भारत मां के लिए होगा। तुम ऐसे अपने जोश में क्या यह सोच रहे थे कि जिन औरतों के हाथ पैर काटकर तुमने उन्हें अपनी मां, लुगाई , बहु - बेटी बनाकर बैठा रखा है घरों में... जो मोहल्ले की दुकान से कपड़े धोने का साबुन लाने के लिए भी अपने लल्ला के पापा का इंतजार करती हैं ... तुम्हारी मौत के बाद क्या होगा उनका ? क्या वो सीख पाएंगी घूंघट हटाकर बेधड़क उन दुकानों पर जा पाना ? क्या राशन खरीदने के लिए उनके पास बचा रहेगा रुपया ? बिना जेबों के कपड़े पहनने वाली ये औरतें क्या कमाना सीख पाएंगी अचानक से ? क्या उन्हें अपने उसी लल्ला की बोतल में चाय भरने के लिए भी खुद को गिरवी नहीं रखना पड़ेगा किसी लाला के पास? या नहीं जाना पड़ेगा किसी बड़े शहर

फैसला

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किसी को घर का रास्ता दिखा दिया, कोई दुख में छोड़ घर चला गया। कोई बस सप्ताह भर बैठा सोचता रहा, इस्तीफे में क्या लिखे, फिर वो इस्तीफा लेकर किधर जाये। वो इस्तीफे में लिखे गालियां, लाचारी, बेइज़्ज़ती या लिखे आठ घंटे की छुट्टी वो लिखे चाटूकारिता या लिखे मैं एक स्तंभ। फिर लिखकर डाक भेजे या फिर पोस्ट करे आभासी दीवार पर। डाक दबा दी गयी या पोस्ट शेयर हुई तो क्या करे.. उसने सोचा .. सिगरेट पीते पीते , और अगले दिन लौट गया दफ्तर।। - शिवांगी, 5 मार्च 2018 

time calls for feminist system

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अखबार में किसी पैरा का अंतिम शब्द किसी नई पंक्ति में अकेला रह जाए तो उसे अंग्रेजी में 'विडो वर्ड ' कहते हैं। विडो यानी विधवा ... वो औरत जिसका आदमी चल बसा हो। किसी अखबार के पन्ने के किसी पैरे का अकेला लटका शब्द विधवा के समान किस तरह हो गया ?! ज़ाहिर है कि पुरुषों के वर्चस्व वाले इस क्षेत्र में यह शब्द पुरुषवादी मानसिकता से ही निकलकर शब्दावली का ' अभिन्न अंग ' बन गया होगा ... । इस कारण ही इस अकेले शब्द का नाम विडोअर वर्ड यानी विधुर शब्द नहीं है। ( उदाहरण के लिए इस तस्वीर में 'increases' शब्द को देख लें, एक अकेला लटका शब्द....।)  इसे लिखते हुए याद आ रहा है कि प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले सोनिया गांधी को विधवा कहा था। कहा था - गरीबों के रुपए कौन सी विधवा खा गई । उस पर कुछ मीडिया संस्थानों ने आलोचना की, जो कि ज़रूरी था। लेकिन मेरा कहना यह है कि यह क्षेत्र खुद पूरी तरह पितृसत्ता को ढोह रहा है, बीट ( रिपोर्टर का कार्य क्षेत्र / विभाग) के बंटवारे की बात हो, महिला पत्रकारों की सैलरी की या फिर ऐसी शब्दावली की। अब चैनलों पर हो रही चीख पुकार, मार पीट, हिंसक भाषा, युद

'भारतीय आतंकवाद' और 'भारतीय बर्बरता' !

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'भारतीय आतंकवाद' और 'भारतीय बर्बरता' !  क्या यह शब्द आपने पहले सुने थे, यहां मुस्लिम या हिन्दु आतंकवाद की बात नहीं हो रही है.. विश्व समुदाय संगठन 'ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन' ने कहा है कि भारत प्रशासन जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद और बर्बरता मचा रहा है। यह बात दुनिया के 57 देशों के उस संगठन ने कही है, जिस संगठन को यूनाइटेड नेशंस के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरगर्वनमेंटल ऑर्गनाइजेशन माना जाता है। पिछले सप्ताह अभिनंदन की वापसी के अगले ही दिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आबूधाबी पहुंचीं, ओआईसी समिट में बतौर विशिष्ठ अतिथि। भारत में माना गया कि जो काम पिछले 50 साल में नहीं हुआ, वह अब संभव हो सका , पाकिस्तान के विरोध के बावजूद आयोजक देश सऊदी अरब ने भारत को निमंत्रण भेजा, वह भी विशिष्ठ अतिथि के रूप में..,। इतनी बड़ी तादाद में मुस्लिम आबादी के भारत में रहने के बावजूद भी भारत को इस महत्वपूर्ण संगठन में सदस्य या ऑब्ज़र का तक स्थान नहीं मिल सका है। लेकिन पिछले वर्षों से उलट इस साल ओआईसी ने पाक को अनसुना करके भारत को बुलाया ।  सुषमा स्वराज के वहां पहुंचने औ

यह मुर्दा शांति खत्म होनी चाहिए...

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अजीब मुर्दा शहर है यह... छोटे शहरों से आए लोग ही यहां की पॉश कॉलोनियों में बसते हैं और अपनी असलियत भूलकर बड़े शहरी हो जाते हैं। आज गली में कंडों का धुआं जल रहा था, कई लोग इकट्ठे दिखे, अखबार उठाने बाहर निकली तो सुनसान रहने वाली गली में इतने लोगों को देखकर खटका हुआ, आगे जाकर देखा तो पता लगा कोई सुहागिन सिधार गई। सुहागिन .... क्योंंकि अंतिम यात्रा के लिए उन्हें अंतिम बार उसी तरह सजाया जा रहा था, लाल चुनरी में। कुछ देर वो रुदन देखकर लौटी तो फिर से तेज- तेज बज रहे गाने कान में पड़ने लगे। सामने के मकान में खड़ी एक महिला को पूछा कि क्या आपके यहां music बज रहा है ? उनके मुंह से 'नहीं ' और मेरे मुंह से ' इस वक़्त न बजाएं तो अच्छा है.. ' एकसाथ निकला। उन्हें बताया कि दो घर आगे किसी की मौत हो गई है, उनके मुंह से ' ओह ' निकला और उन्होंने उंगली से इशारा किया । ... उनकी उंगली का इशारा मेरी ही बिल्डिंग के मेरे ही रूम से निचली मंजिल वाले कमरे की ओर था ! वहां रह रहे लोग बाहर नहीं निकले होंगे, इसलिए शायद उन्हें इस घटना का आभास नहीं... । गाने अब भी बज रहे हैं, रुदन खत्म हो चुका ह