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साहब! इतने रूपये और कुव्वत नहीं है कि बेटी के इंसाफ की लड़ाई काे कचहरी के चक्कर काटूं.. ये शब्द है फरीदपुर इलाके के एक पिता के जिसने मजिस्ट्रेट के सामने कारण बताया कि आखिर उसने क्याें अपनी ११ साल की बेटी के बलात्कार की तहरीर नहीं दी. इंसाफ की लड़ाई शुरू करने में ही ये पिता हार गया .. क्याेकि वाे किसी फिल्म का किरदार नहीं, आम आदमी है. अस्पताल, थाना, पुलिस, वकील, काेर्ट ... इनके चक्कर लगाते लगाते उसकी बेटी कई बार बलात्कार जितनी ही प्रताड़ना झेलेगी. ... और समाज उसे ही आराेपी बना देगा. हारने वालाें की कहानियां सुनना किसकाे पसंद है .... पर ये कहानी शायद आप सबकाे भी इसलिए दिलचस्प लगे क्याेकि शनिवार काे पूरा प्रशासनिक और पुलिस अमला १०० नंबर पर मिली रेप की सूचना पर इस किसान के गांव पहुच गया. इतनी ज्यादा मेहनत के बाद जब पुलिस ने तहरीर मांगी ताे पिता बाेला... घटना हुई पर तहरीर नहीं दूंगा. बेवजह की परेशानी पर एसडीएम भी गुस्साईं, किसान काे पुलिस ने शांति भंग में चालान कर मजिस्ट्रेट के पास पहुंचा दिया. ... और मजिस्ट्रेट के सामने किसान ने जाे कहा वाे पूरी व्यवस्था काे आईना दिखाने वाला है. अब ये
कहां अमवा की डाल गई, कहां पेंग बढ़ाने की हसरतें .... Byline story : 23 July 2017
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