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सतत क्या ?

समय सतत है  लगातार एक रफ्तार में चलता रहता।   निरंतर चलने वाली चीजें दूर से स्थिर लगती हैं, इसीलिए कभी समय ठहरा महसूस होता।     पर समय सतत है, बढ़ता रहता आगे। ।     क्या प्रेम सतत है?   जीवन के हर चरण में तो बदल जाता प्रेमी।   हर बार पहले से ज्यादा प्यार में पड़ते जाते हम,   क्या प्रेम किसी एक पर जाकर रुकता है? क्या प्रेम को सतत नहीं होना चाहिए?  समय के साथ चलते रहना जीवन है।  समय कहता, बढ़ते रहो।     जीवन चाहता- प्रेम करो,    क्या प्रेम करते हुए बढ़ते रहना जीवन है?  समय सतत है तो प्रेम और जीवन क्या है ??   शिवांगी - 26 दिसंबर 2020

पुरुषवादी मीडिया ने इंदिरा को बनाया ‘आइरन लेडी’

  कल इंदिरा गांधी को सबने याद किया, उनकी हत्या के बाद आज के दिन से शुरू हुए सिख नरसंहार को भी याद करना चाहिए। वो केंद्र सरकार प्रायोजित था मतलब कांग्रेस ने कराया था। आयरन लेडी वाली उनकी इमेज भी तब की राष्ट्र वादी और पुरुषवादी मीडिया ने ही बनाई थी। हत्या और नरसंहार दोनों का ही विरोध होना चाहिए। आपातकाल लगाकर नागरिक अधिकारों को कैद करने का भी। पर मीडिया की मेहरबानी के कारण ही इंदिरा गांधी को आपातकाल के लिए कम याद किया जाता है। कई लोग तो इसे भी उनका कड़ा फैसला बताकर उनकी परोक्ष रूप से तारीफ ही करते हैं। ये बिल्कुल वैसा ही है कि जब कुछ बीस - साल बाद मोदी को याद किया जाए और उसमें गुजरात नरसंहार, कश्मीर की कैद और असम ने मुसलमानो को घुसपैठियां बनाने की उनकी तानाशाही को भी उनके 56 इंची सीने सी हिम्मत करार दिया जाए ... ऐसी हिम्मोक्रेसी से सबको बाहर आना पड़ेगा

कमरे की एक दीवार बन गई हौंसला ...

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  अपने कमरे की कुछ दीवारें हमें हौसला देती रहती हैं ... यह भी कुछ ऐसी ही दीवार है। घर में जब तीन साल तक नौकरी को लेकर खींचतान चल रही थी, तब यह दीवार बताती थीं कि पागल नहीं हो गई हूं, ये बातें सिर्फ किताबी नहीं हैं और किसी इलाज की जरूरत नहीं है। 'पर्सनल इज पॉलिटिकल' यानी व्यक्तिगत जीवन में घट रही घटनाएं सामाजिक राजनीति , सामाजिक संरचना और सोच से प्रेरित हैं। इसलिए किसी इमोशन में आके इस राजनीति का शिकार मत होना। बस यही आगे बढ़ाता गया। मां - बाप आज भी मानते हैं कि लड़कियों को ज्यादा पढ़ाना ही गलत होता है और फिर उन्होंने तो पढ़ाई के लिए घर खरीदकर दे दिया था ताकि कोई परेशानी न हो। लड़की को पढ़ना चाहिए था फिर किसी 'बड़े' घर की बहू बनती। तथाकथित ' इज्जतदार' खानदान कभी नहीं चाहेंगे कि उनकी लड़की रात में दो बजे घर लौटे या स्कूटी से इधर - उधर खबर की फिराक में मारी फिरे। लड़कियों के लिए तो आदर्श जीवन खूब पढ़ना और शादी करना है ताकि वे अपने बच्चों को पढ़ा सकें।  फिर बागियों का क्या हो? रामगंगा में बहा दी जाए, रात में कोई उन्हें नोच कर खा जाए, किसी से उनकी गाड़ी का एक्सिडेंट

day one- when the English learning becomes blogging stories

  In my childhood, I was very keen to learn English. My elder sister was intelligent among three of us siblings, so I always looked at her to get help to learn this language. She used to tell my younger brother and me how to pronounce the alphabet. I used to read out English lessons loudly to get out of the hesitation of speaking English. In school days, I was an average student, particularly in English. But it got improved later, as I progressed to the ninth standard, there was an English teacher, Name Ajay Sir. I never got a chance to attend his class because he taught a Higher Class. But Once he came to our Physical education class, It supposed to be a free class those days because no teacher took an interest in that Subject Sadly. So when once he attended that class, we students were asked to read out one-one paragraphs of a lesson. I then wanted to perform well in front of him, and my Hindi speaking practice worked. I still have a fresh memory after 13 years of that incident. He s

#कोरोनाकाल : रिश्ते खून से नहीं प्रेम से बनते हैं, सड़क के बच्चों को हमारा इंतजार ...

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  #जनसंख्यादिवस #कोरोनाकाल : संयुक्त राष्ट्र बता चुका है कि दुनियाभर में कोरोना को लेकर हुई तालाबंदी में महिलाओं के साथ शारीरिक और यौन हिंसा हुई। इस मामले में विशेषज्ञ मानते हैं कि आम स्थितियों में भी तालाबंदी के दौरान अनचाहा गर्भ ठहरने के मामलों की तादाद बढ़ी है। चूंकि अनचाहा गर्भ है तो बहुत संभावना है कि लिंग जांच के लिए दंपति या गर्भवती महिलाएं अवैध रूप से चल रहे सेंटरों पर जाएं। हाल में हुए एक वेबनार में लखनऊ की संस्था वात्सल्य ने बताया कि महामारी शुरू होने के बाद से लिंग जांच और भ्रूण हत्या के मामलों की निगरानी करने वाली जिला जांच कमेटियां ठप चल रही हैं। जबकि संक्रमण काल में ऐसे निगरानी तंत्र को और कड़ा किए जाने की जरूरत है। इससे संकेत मिलता है कि आने वाले समय में भ्रूण हत्या और गर्भवतियों की मौत के मामले बढ़ सकते हैं। याद रहे कि लॉकडाउन के दौरान कॉडम जैसे जरूरी सुरक्षा उपाय मेडिकल पर न होने जैसी खबरें आयी थीं। हालांकि कॉडम का इस्तेमाल करने वाले शादीशुदा पुरुषों का प्रतिशत भारत में बहुत कम है क्योंकि शादी संस्थान में अक्सर महिलाओं को ‘प्रॉपर्टी’ माना जाता है। वहीं, दूसरी ओर लॉकड

#कोरोनाकाल : बिग-बी के हमउम्र प्रशंसकों को मदद देने का वक्त

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अमिताभ बच्चन के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर से आप सभी यह तो समझ रहे होंगे कि कितना ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। कुछ दिन पहले जब महाराष्ट्र सरकार ने शूटिंग की अनुमति दी तो प्रोड्यूसर एसोसिएशन ने अमिताभ बच्चन, बोमन ईरानी और दूसरे 65 से अधिक उम्र के एक्टरों का हवाला देकर कहा कि आवश्यकता के आधार पर इस आयुवर्ग के एक्टरों को शूटिंग की इजाजत मिले। इंडियन एक्सप्रेस की 30 मई की खबर के हिसाब से इस अनुरोध को राज्य सरकार ने मान भी लिया। अब यह तो बॉलीवुड कवर करने वाले रिपोर्टर ही बेहतर जानते होंगे कि अमिताभ बच्चन ने इस दौरान शूटिंग की या दूसरे माध्यम से वे किसी संक्रमित के संपर्क में आए। पर आज की खबर इस आयुवर्ग के लोगों के लिए बचाव के नियमों के सख्ती से पालन की जरूरत को साबित करती है। कहने की जरूरत नहीं है कि हम सभी अपने घर के बुजुर्ग व हृदय और मधुमेह रोगियों को लेकर सबसे ज्यादा सतर्क रहें। खुद सभी बचाव के नियमों का पालन करके उनके सामने नजीर बनें। हम इस वक्त तीन दिन के लॉकडाउन में हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे लॉकडाउन लगाए गए हैं, जिनकी वैज्ञानिक प्रमाणिकता पर संदेह होता है मगर इससे कुछ हद त