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'इज्ज़त लुटना' .... स्वीकार्य नहीं ।

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  'इज्ज़त लुटना' इस शब्द का इस्तेमाल दुष्कर्म या बलात्कार को सभ्य ढंग से कहने के लिए किया जाता है। लेकिन किसी का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न उसकी इज्ज़त कैसे लूट सकता है। असल में ये एक सोची समझी साजिश के तहत नियोजित शब्द है।  लड़की को रोकना है तो पहले उसे बताओ की उसमे क्षमताएँ नहीं, फिर भी हठधर्मिता दिखा कर बाहर निकले तो उसकी शारीरिक बनावट को नोच डालो । उसके अस्तित्व को पिता, भाई और पति की इज्ज़त से जोड़ दो। उसके शरीर की विशेष बनावट को सुरक्षा का मुद्दा बना दो। फिर इज्ज़त और सुरक्षा के नाम पर उसे घर बैठाओ । फिर भी कदम बाहर आए तो उसके शरीर में अपने-अपने हिस्से की खोज करते गिद्ध बन जाओ ..., गैंग रेप करो। दहशत जितनी फैलेगी इज्ज़त लुटने का डर उतना बढ़ेगा । कैद थीं जो, फिर कैद हो जाएंगी और पुरुष सत्ता का वर्चस्व सर्वस्व रहेगा। 'इज्ज़त लुटना' शब्द के इस्तेमाल के पीछे की इस वजह पर शायद कोई ध्यान नहीं देना चाहता। औरत का शारीरिक और मानसिक शोषण जघन्य है, लेकिन इसे इज्ज़त लुटने से जोड़ना अस्वीकार्य है। लड़की की इज्ज़त किसी दूसरे इंसान की तरह ही उसके आत्मसम्मान से जुड़ी है, उसके कौमार्य क