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नियमों में फंस गया बच्ची और नाबालिग मां का जीवन

बरेली।  डेढ़ महीने की बच्ची को जिस उम्र में मां-पिता का स्नेह मिलना चाहिए, उस दौर में वह अपनी नाबालिग मां के साथ भटकेगी। शनिवार को बच्ची के भविष्य के संघर्ष की पटकथा उस समय लिख गई जब बाल कल्याण समिति ने नाबालिग मां को उसकी मर्जी से अपनी मां के सुपुर्द कर दिया। दूसरी ओर, बच्ची का पिता पाक्सो और अपहरण का आरोपी होने के कारण गिरफ्तारी के डर से मारा मारा घूम रहा है। वहीं, १५ सौ रुपये की मजदूरी में अपने तीन बच्चों को पाल रही विधवा मां परेशान थी कि आखिर किस तरह वह अपनी न के दूध के डिब्बे के लिए भी रुपया जुटा पाएगी। विधवा मां रोते हुए बाल कल्याण समिति के सदस्य/मजिस्ट्रेट के सामने विनती रही कि प्रधान के कहने पर उसने जो रिपोर्ट दर्ज करा दी थी, उसे वह वापस लेना चाहती है। पर पाक्सो एक्ट में दर्ज केस वापस न लिए जाने के प्रावधान के कारण समिति सदस्य भी कुछ कर पाने में असमर्थ हैं।      पिछले साल नवंबर में फरीदपुर थाना क्षेत्र की महिला ने अपनी नाबालिग बेटी के अपहरण के आरोप में हरदोई जिले के थाना तडिय़ाना के गोपा मऊ निवासी राज के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। केस में पाक्सो एक्ट भी लगाया गया। दूसरी ओर,

घर तबाह हाे गए ताे मुई इस शराब से दुश्म‍नी क्याें न हाे .... Byline story 18 april 2017

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साहब! इतने रूपये और कुव्वत नहीं है कि बेटी के इंसाफ की लड़ाई काे कचहरी के चक्कर काटूं.. ये शब्द है फरीदपुर इलाके के एक पिता के जिसने मजिस्ट्रेट के सामने कारण बताया कि आखिर उसने क्याें अपनी ११ साल की बेटी के बलात्कार की तहरीर नहीं दी. इंसाफ की लड़ाई शुरू करने में ही ये पिता हार गया .. क्याेकि वाे किसी फिल्म का किरदार नहीं, आम आदमी है. अस्पताल, थाना, पुलिस, वकील, काेर्ट ... इनके चक्कर लगाते लगाते उसकी बेटी कई बार बलात्कार जितनी ही प्रताड़ना झेलेगी. ... और समाज उसे ही आराेपी बना देगा. हारने वालाें की कहानियां सुनना किसकाे पसंद है .... पर ये कहानी शायद आप सबकाे भी इसलिए दिलचस्प लगे क्याेकि शनिवार काे पूरा प्रशासनिक और पुलिस अमला १०० नंबर पर मिली रेप की सूचना पर इस किसान के गांव पहुच गया. इतनी ज्यादा मेहनत के बाद जब पुलिस ने तहरीर मांगी ताे पिता बाेला... घटना हुई पर तहरीर नहीं दूंगा. बेवजह की परेशानी पर एसडीएम भी गुस्साईं, किसान काे पुलिस ने शांति भंग में चालान कर मजिस्ट्रेट के पास पहुंचा दिया. ... और मजिस्ट्रेट के सामने किसान ने जाे कहा वाे पूरी व्यवस्था काे आईना दिखाने वाला है. अब ये

कहां अमवा की डाल गई, कहां पेंग बढ़ाने की हसरतें .... Byline story : 23 July 2017

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अहिंसा और निर्भया काे न्याय

किसी भी स्थिति में हिंसा िकसी अपराध का समाधान नहीं हाे सकती. एेसे में ज्याेति के न्याय काे हम किस रूप में देखें? दाेपहर में जब पता लगा कि बलात्कार अपराधियाें की सजा बरकरार रखी गई है, ताे ये एक िमक्स फील था. राेंगटे खड़े हुए उस २३साल की लड़की के बारे में ... उस घटना की जघन्यता के बारे में साेचकर. पर साथ ही सवाल खड़ा हुआ कि ये फांसी भी ताे हिंसा है? पूरी शाम दूसराें के सुकून भरे चेहरे देखती रही... पांचवें नावालिग अपराधी काे भी फांसी हाे... कई बाेले. सबने माना ये कड़ा फैसला अापराधिक मानसिकता वालाें के हाैसले पस्त करेगा. सब अपनी जगह सही हैं शायद... हमारी संविधानिक और न्यायिक प्रक्रिया लचीली है... यही कारण है कि एक दिन पहले ही बिलकिस बानाे गैंग रेप प्रकरण में आराेपियाें काे फांसी की जगह उम्र कैद दी गई. पर सिद्धांत ताे हर स्थिति में एक से रहते हैं. अहिंसा एक सिद्धांत है और हिंसा का इकलाैता समाधान भी. यह रेयरेस्ट अॉफ दि रेयर केस था. पर सवाल अब भी वही है. ये सवाल करते समय मेरी बात काे महिला विराेधी समझे जाने का खतरा महसूस कर रही हूं... पर ये अनकहा रह गया ताे भी गलत हाेगा. मैं अपेक्षा कर रह

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प्यार...साथ... सेक्स एक नहीं.

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यूएन के आंकड़े के हिसाब से हर तीन में से एक महिला अपने पूरे जीवन में रेप या दूसरी शारीरिक और मानसिक हिंसा काे झेलती हैं. संसार की एक अरब महिलाएं और लड़कियांं. ताे इन एक अरब काे जगाने के लिए और किसी भी हिंसा के खिलाफ अपना विराेध दर्ज कराने काे वेलनटाइन डे के दिन वर्ष २०१२ में शुरू हुआ 'वन बिलियन राइजिंग डे'. आज हम जिस प्रेम और विश्वास के दिन काे मना रहे हैं वाे किसी भी तरह के डाेमिनेशन से भरा ताे नहीं? विश्लेषण कीजिए ... कहीं प्यार/सुरक्षा/जिम्मेदारी के नाम पर पित्तसत्ता में पिस ताे नहीं जा रही भावनाएं? दाेस्त/पति/िपता/भाई से कैसा है तुम्हारा संबंध... ? कितना पेट्रियार्कल ... और हां तुम्हारा व्यवहार .... तुम भी कही उस संरचना में पैदा हाेकर उन जैसी ताे नहीं हाे गई? जांचाें अपनी परवाह कही जाने वाली हरकताें काे ... पजेशंस काे ... प्यार काे बाेझ बना लेना इन सबका परिणाम ही है. न बाेझ बनाे ...न बनने दाे. जब हम साथ काे प्यार कहते हैं ... शादी का वादा .... जन्माें का बंधन .. और भी तमाम भाव ... इनके पीछे सिर्फ एक थ्याेरी काम करती है कि हम अकेले अपने अस्तित्व की कल्पना तक नहीं कर सकते,

महिलाओं के सार्वजनिक जगहाें पर सुरक्षित आवाजाही का सवाल काैन उठाएगा..?

16 December 2012..... ये तारीख भारत के इतिहास में एक युग की शुरूआत के ताैर पर जानी जा सकती है जब बलात्कार ...दुष्कर्म .. इज्जत लूटना ... सामूहिक दुष्कर्म .. सब बहुत तेजी से सामने आने लगा. लाेगाें काे लगा निर्भया के बाद रेप बढ़े भले नियमाें में सख्ती भी आई हाे ... जबकि मीडिया कवरेज बढ़ने से बड़ी संख्या में घटनाएं सामने आने लगी. सेल्फ डिफेंस का मतलब आैर संभव प्रशिक्षण बढ़ गए. हर काेई लड़कियाें काे जबरन बेटी बनाकर उनकी सुरक्षा में चिंतित दिखने लगा. इस फिक्र ने कई लड़कियाें के दूसरे शहर जाकर पढ़ने पर ब्रेक लगाया .. रात में घर से बाहर निकलने से पहले लड़कियां खुद साेचने लग गईं. पिछले दिनाें दाे बेटियाें की मां से मिली ताे वाे बताने लगीं कि दिल्ली रेप कांड के कुछ दिन बाद ही बेटी का एमबीए में दाखिला कराना था पर उसने डर से उस शहर जाने से ही मना कर दिया.. खुद की सुरक्षा का उसका डर आज भी कायम है. पिछले साल अपनी बेटी से प्रेम की बात करते हुए एक सहयाेगी ने बड़े फक्र से बताया कि बेटी के लिए सब खुद खरीद कर लाता हूं .. इतनी सीधी आैर लाडली है कि पड़ाेस की दुकान तक जाने के लिए भी पापा चाहिए..! पापा ...

खबर की हत्या ...

पिछले दिनाें दंगल देखी .... एक पिता अपने सपने काे पूरा करने के लिए बेटी काे राेज सुबह पांच बजे से दाैड़ाना शुरू करता है. अपने चचेरे भाई काे हराने, लड़काे काे दंगल में पटखनी देने से लेकर दिल्ली में कॉमन वेल्थ में मेडल जीतकर लड़की पिता का नाम ऊंचा करती है. पूरी िफल्म में तमाम ऐसे सीन आए जब लगा पिता बेटियाें के सिर पर हाथ रखने के साथ उन्हें गले से भी लगा लेगा ... पर पूरी फिल्म भारतीय घराें में पिता आैर बेटी के बीच रहनी वाली एक अजीब तरह की दीवार काे बनाए रखती है. हालांकि आखिरी सीन में मेरी मन की इच्छा पूरी हुई जब आमिर ने फिल्म में अपनी बेटियाें काे शाबाश कहकर गले गलाया ... फिर एक सुखद अंत. दाे दिन पहले बाप और बेटी के बीच की यह अजीब सी दीवार का जिक्र फिर सुना जब शहर की एक सनसनीखेज घटना सामने आई. १५ साल की बेटी ने शिक्षक पिता की रॉड के कई वार करके हत्या कर दी. वजह ... लड़की के मुताबिक 'पापा टॉयलेट जाते समय उसे अजीब तरह से देखते ... गलत जगह छूने की काेशिश करते.' घटना की रात मम्मी की गैरमाैजूदगी में बिस्तर पर पास लिटाकर पिता ने उसे छूना शुरू किया ... विराेध करने पर मारने लगे ताे लड़की

आंकड़ाें में बदनाम हाेती अभागिने

महिलाएं रेप काे हथियार बना रहीं हैं ....! सरकारी आंकड़े, विवेचना में फर्जी साबित हाे रहे दुष्कर्म के केस ताे यही बता रहे हैं. अखबार आंकड़ाें की ये कहानी सरकारी अफसराें के वर्जन के साथ छापते हैं. आम पाठक पढ़ता है और महिलाओं काे दिए जा रहे अधिकाराें के गलत इस्तेमाल की बातें सउदाहरण ऊंची आवाज में घर की महिलाआें काे आगाह करते हुए सुनाता है. सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी हाेने पर भी कहां के आ जा रही है इनमें इतनी कुटिलता ....?? विश्लेषण करने की जरूरत काे पित्तसत्ता में पले दिमाग कहां साेच पाते हैं. पति , भाई , पिता और दूसरे रूपाें में महिला से जुड़ा आदमी अपने हित या इज्जत के नाम पर कानूनी पेंच में करता है औरत का इस्तेमाल. रंजिश के केस में दुष्कर्म से लेकर सामूहिक दुष्कर्म तक की तहरीराें में छिपी हाेती है पित्तसत्ता. पर गालियां खा रही हैं अभागिनें. अखबार में लिख रहे लाेग इस पक्ष काे उठाते ही नहीं. किसी ने पूछा था एक बार ... कि क्याें खबराें में अफसर ..मनाेचिकित्सक का पक्ष हाेता है पर अमूमन समाजशास्त्री का वर्जन नहीं लेते रिपाेर्टर ...? धारा ३७६ के गलत इस्तेमाल के मुद्दे पर मुझे ये बात याद